Radha Ashtami 2024 Date : राधा अष्टमी कब है? जानिए महत्व, पूजन विधि और व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त

 

 

आध्यात्मिक डेस्क, न्यूज राइटर, 03 सितंबर, 2024

 

इस साल राधा अष्टमी 11 सितम्बर, मंगलवार के दिन है। राधा अष्टमी को राधा रानी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। राधा अष्टमी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के 14-15 दिनों बाद मनाई जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार राधा जी कृष्ण की प्रेयसी हैं, ऐसे में श्रीकृष्ण के भक्त राधा जी का जन्मदिवस भी उतने ही श्रद्धा भाव और आस्था के साथ मनाते हैं। राधा अष्टमी के दिन राधा-कृष्ण के मंदिरों में राधा-कृष्ण की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है और भजन गाए जाते हैं। आइए, जानते हैं हिन्दू पंचांग के अनुसार कब है राधा अष्टमी और शुभ मुहूर्त।

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राधा अष्टमी कब है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 सितंबर मंगलवार को रात 11 बजकर 11 मिनट से शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन 11 सितंबर बुधवार को रात 11 बजकर 46 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार राधा अष्टमी का पावन पर्व 11 सितंबर को मनाया जाएगा।

 

राधा अष्टमी व्रत में पूजन का शुभ मुहूर्त

आप अगर राधा अष्टमी का व्रत रख रहे हैं, तो आपको 11 बजकर 03 मिनट से दोपहर 1 बजकर 32 मिनट तक राधा अष्टमी की पूजा कर सकते हैं। यह मुहूर्त राधा अष्टमी व्रत के पूजन के लिए शुभ है। राधा अष्टमी की विशेष पूजा में राधा अष्टमी व्रत कथा का पाठ भी करना चाहिए।

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राधा अष्टमी की पूजन विधि 

राधा अष्टमी पर राधा की धातु या पाषाण की प्रतिमा ले आएं। पंचामृत से मूर्ति को स्नान कराएं और नए वस्त्र धारण कराएं। मध्यान्ह में मंडप के भीतर ताम्बे या मिट्टी के बर्तन पर राधा जी की मूर्ति स्थापित करें। राधा जी को भोग लगाकर धूप, दीप, पुष्प अर्पित करें। उनकी आरती करें। संभव हो तो उपवास करें। दूसरे दिन सौभाग्यवती स्त्री को श्रृंगार की सामग्री और मूर्ति का दान करें। तब जाकर सम्पूर्ण भोजन ग्रहण करके व्रत का पारायण करें।

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राधा अष्टमी व्रत का महत्व

राधा अष्टमी का व्रत करने से राधा जी के साथ श्रीकृष्ण की कृपा भी मिलती है। पौराणिक कहानियों में राधा जी को देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। वहीं, राधा जी को प्रेम की अवतार मानकर उन्हें प्रकृति देवी भी कहा जाता है। अपनी आंतरिक शक्ति बढ़ाने के लिए राधा अष्टमी का व्रत महत्वपूर्ण माना जाता है। राधा अष्टमी का व्रत रखने से सारी पीड़ाएं दूर होती हैं और भक्तों की मनोकामनाएं भी पूरी होती है।

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